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1
Shiv bhajan
एक दिन वो भोले भंडारी,
बनकर ब्रज की नारी,
गोकुल में आ गए हैं |
पार्वती ने मना किया पर,
ना माने त्रिपु रारी,
वृन्दावन आ गए हैं ||
पार्वती जी से बोले,
मैं भी चलूँगा तेरे संग में,
राधा संग श्याम नाचे,
मैं भी नाचूँगा तेरे संग में |
रास रचेगा ब्रज में भारी,
मुझे दिखाओ प्यारी,
वृन्दावन आ गए हैं ||
ओ मेरे भोले स्वामी,
कैसे ले जाऊं तुम्हें साथ में,
मोहन के शिवा वहां,
पुरुष ना जाए कोई रास में |
हंसी करेगी ब्रज की नारी,
मानो बात हमारी,
वृन्दावन आ गए हैं ||
ऐसा सजा दो मुझे,
कोई ना जाने इस राज को,
मैं हूँ सहेली तेरी,
ऐसा बताना ब्रज राज को,
बना के जुड़ा पहन के साड़ी,
चाल चले मतवाली,
वृन्दावन आ गए हैं ||
देखा मोहन ने ऐसा,
समझ गये वो सारी बात जी,
ऐसी बजाई बंसी,
सुध बुध भूले भोलेनाथ जी,
खिसक गयी जब सर से साड़ी,
मुस्काये गिरधारी,
वृन्दावन आ गए हैं ||
एक दिन वो भोले भंडारी,
बनकर ब्रज की नारी,
गोकुल में आ गए हैं |
पार्वती ने मना किया पर,
ना माने त्रिपु रारी,
वृन्दावन आ गए हैं ||
रूप गोपी का सूंदर सजा के चले है भोले रास देखने,
मुखड़ा घुंगट में अपना छिपा के चले है भपा रास देखने,
हार नो लाख पहने गले में,
कानो में डोले रे डोले झुमका,
होश उड़े है तीनो लोक के भोले लगाए जब धूमका,
माथे पे बिंदियां कानो में कजरा रत्न रे नैनो में काला कजरा,
लाल होठों पे लाली लगा के चले है बाबा रास देखने,
देख भोले को गौरी मैया रोक हसी ना पाए,
जैसे दुल्हन शर्माती है वैसे ही भोले शर्माए,
छन छन बोले पाँव की पायल करती नैथनिया दिल को पागल,
लाल हाथो में मेंहदी रचा के चले है बाबा रास देखने,
फिर पहुंचे वृद्धावन में भोले देख रहे थे कन्हाई,
पूछे सखी से ओढ़ के घूंघट गोपी कौन आई,
जैसे ही मोहन मुरली बजाई सुध भूद भोले ने विश्राई,
तन पे सोला शृंगार सजाके चले है बाबा रास देखने,
गिर गए भोले विच सखियों के सिर को खड़े है झुकाये,
इस लीला के कारण बाबा गोपेश्वर कहलाये,
बन जाए उसके दर का दीवाना गए ले तू वेधक् दिल से तराना,
धनाये लखा हुआ गन गए के चले है भोले रास देख ने,
मुखड़ा घुंगट में अपना छिपा के चले है भपा रास देखने,
2
Shiv bhajan
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
ऐंसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।।
डमरू को सुनकर जी कान्हा जी आए,
कान्हा जी आए संग राधा भी आए,
डमरू को सुनकर जी कान्हा जी आए,
कान्हा जी आए संग राधा भी आए,
वहाँ सखियों का मन भी मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
ऐंसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।।
डमरू को सुनकर जी गणपति चले,
गणपति चले संग कार्तिक चले,
डमरू को सुनकर जी गणपति चले,
गणपति चले संग कार्तिक चले,
वहाँ अम्बे का मन भी मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
ऐंसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।।
डमरू को सुनकर जी रामा जी आए,
रामा जी आए संग लक्ष्मण जी आए,
मैया सिता का मन भी मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
ऐंसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।।
डमरू को सुनकर के ब्रम्हा चले,
यहाँ ब्रम्हा चले वहाँ विष्णु चले,
डमरू को सुनकर के ब्रम्हा चले,
यहाँ ब्रम्हा चले वहाँ विष्णु चले,
मैया लक्ष्मी का मन भी मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
ऐंसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।।
डमरू को सुनकर जी गंगा चले,
गंगा चले वहाँ यमुना चले,
डमरू को सुनकर जी गंगा चले,
गंगा चले वहाँ यमुना चले,
वहाँ सरयू का मन भी मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
ऐंसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।।
डमरू को सुनकर जी सूरज चले,
सूरज चले वहाँ चंदा चले,
डमरू को सुनकर जी सूरज चले,
सूरज चले वहाँ चंदा चले,
सारे तारों का मन भी मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
ऐंसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।।
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
ऐंसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।।
भोले अपनी नगरिया बुलालो हम को
अपने चरणों का सेवक बना लो हम को
भोले अपनी नगरिया बुलालो हम को
गंगा जल मैं भर भर लाऊ
कार्तिक गणपति गोद खिलाऊ,
अपने बस हां की डोर थमा दो हम को
भोले अपनी नगरिया बुलालो हम को
तोड़ तोड़ लाऊ नित वेल की पतियाँ
प्रेम से बनाऊ शिव भांग की गोलियां
भांग धोटने का पात्र थमा दो हम को
भोले अपनी नगरिया बुलालो हम को
हे त्रिभुवन पति शिव त्रिपुरारी
कब लोगे सुधि शम्भू हमारी
अपने चरणों की धुल बना लो हम को
भोले अपनी नगरिया बुलालो हम को