मोढ़ेरा का सूर्य मंदिर - Sun Temple of Modhera

मोढेरा का सूर्य मंदिर एक हिंदू मंदिर है जो भारत के गुजरात के मेहसाणा जिले के मोढेरा गांव में स्थित सौर देवता सूर्य को समर्पित है । यह पुष्पावती नदी के तट पर स्थित है। इसे चालुक्य वंश के भीम प्रथम के शासनकाल के दौरान 1026-27 ई. के बाद बनाया गया था।

मोढ़ेरा का सूर्य मंदिर कई प्राचीन मंदिरों का एक परिसर है, जो मेहसाणा से सिर्फ 35 किमी दूर हरी भरी जगह के बीच स्थित है। पुष्पावती नदी इस मंदिर के पीछे बहती है।

मोढ़ेरा के सूर्य मंदिर सूर्य देव को समर्पित हैं – सूर्य को देवता के रूप में ऊर्जा का दाता और पृथ्वी पर जीवन का स्रोत माना जाता है। सूर्य को आदित्य भी कहा जाता है – वह जो अन्य सभी से पहले आया था।

सूर्य मंदिर परिसर की बहुत ज्यादा जटिल मूर्तियां मंत्रमुग्ध कर देने वाली है। मोढेरा स्थित सूर्य मंदिर उस समय के अवशेष हैं, जब वैदिक देवताओं के साथ प्राकृतिक तत्व अग्नि, वायु, पृथ्वी, जल और आकाश को लेकर श्रद्धा अपने चरम पर थी।

गुजरात के इतिहास के स्वर्ण युग के दौरान – सोलंकी राजघरानों के युग में इसका निर्माण हुआ था। आयताकार आकार में बने रामकुंड के नाम से प्रसिद्ध कुंड में विभिन्न देवताओं के 108 मंदिर हैं।

कुंड के किनारों पर तैनात 3 मुख्य मंदिर भगवान गणेश, भगवान विष्णु और भगवान शिव को समर्पित हैं। शिवजी को तांडव करते हुए दिखाया गया है। कुंड की सुंदर और जटिल वास्तुकला अद्भुत है। विभिन्न मंदिरों में अलग-अलग मुद्राएं दिखाई देती हैं।

यह मंदिर एक समय में पूजा-अर्चना, नृत्य और संगीत से भरपूर जाग्रत मंदिर था। पाटन, गुजरात के सोलंकी शासक सूर्यवंशी थे और सूर्यदेव को कुलदेवता के रूप में पूजते थे। इसलिए सोलंकी राजा भीमदेव ने सन 1026 ईस्वी में इस सूर्य मंदिर की स्थापना कराई थी।

यह मंदिर तीन मुख्य भागों में बंटा है। प्रथम भाग है- गर्भगृह तथा एक मंडप से सुसज्जित मुख्य मंदिर, जिसे गूढ़ मंडप भी कहा जाता है। अन्य दो भाग हैं- सभा मंडप और एक बावड़ी। जब मंदिर का प्रतिबिम्ब इस बावड़ी के जल पर पड़ता है, तब वह दृश्य सम्मोहित कर देता है।

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बावड़ी की सीढ़ियां अनोखे ज्यामितीय आकार में बनाई गई हैं। सीढ़ियों पर छोटे-बड़े 108 मंदिर बने हैं। इनमें कई मंदिर भगवान गणेश और शिव को समर्पित हैं। सूर्य मंदिर के ठीक सामने की सीढ़ियों पर शेषशैया पर विराजमान भगवान विष्णु का मंदिर है। एक मंदिर शीतला माता का भी है।

मंदिर के गर्भगृह के चारों ओर परिक्रमा पथ है। इसका सभामंडप एक अष्टभुजीय कक्ष है। इसमें 52 स्तंभ हैं, जो वर्ष के 52 सप्ताहों को दर्शाते हैं।

महमूद गजनी के नेतृत्व में विदेशी आक्रमणकारियों ने इस सूर्य मंदिर पर हमला किया गया था। इन आक्रमणकारियों ने सोलंकी साम्राज्य में लूटपाट की। कथाओं के अनुसार इलाके को अच्छी तरह से जानने वाली सोलंकी सेना ने भीमदेव की ओर से युद्ध में महमूद गजनी की सेना का लगभग आधा हिस्सा नष्ट कर दिया और बाद में ग़ज़नी को भागना पड़ा।

इसके 160 साल बाद एक और आक्रमणकारी अलाउद्दीन खिलजी ने समुद्र मार्ग तक पहुंचने के लिए पहले दिल्ली और गुजरात पर हमला। मोढेरा सहित सोलंकी वास्तुकला की उत्कृष्ट कृतियों को नुकसान पहुंचाते हुए फिर लूटपाट हुई।

सूर्य मंदिर के बड़े हिस्सों के नष्ट होने के बावजूद यह मंदिर अभी भी वास्तुकला और पूजा स्थल का एक सुंदर नमूना है जो भारतीय पुरातन परंपरा की धरोहर है।

मोढेरा सूर्य महोत्सव गुजरात में जनवरी के तीसरे सप्ताह में मोढेरा के प्राचीन सूर्य मंदिर में मनाया जाता है। इस जीवंत उत्सव में स्थानीय कला रूपों, संगीत, नृत्य प्रदर्शनों और सांस्कृतिक प्रदर्शनियों का प्रदर्शन किया जाता है

निकटतम रेलवे स्टेशन अहमदाबाद है, जो लगभग 102 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अहमदाबाद से ही यहां के लिए बस व टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है।

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